26 Mar आज के कॉर्पोरेट जगत में हिंदी को शामिल करना कितना महत्वपूर्ण है।
कॉर्पोरेट जगत एक ऐसा औपचारिक स्थान है जहाँ काम किसी भी चीज़ से अधिक मायने रखता है। लाभ और हानि वाले इस जगत में काम सर्वोपरि है। अलग-अलग तरह के लोगों के संगठन से बने इस कॉर्पोरेट जगत में आपके काम करने के तरीके से लेकर आपके बात करने तक के तरीके पर भी काफी गौर किया जाता है। ऐसे में खुद को प्रोडक्टिव रखना काफी जरूरी हो जाता है।
कहीं न कहीं कॉर्पोरेट दुनिया को लेकर लोगों के बीच एक ये भ्रम व्याप्त है, कि यहाँ तो अंग्रेज़ी के बिना काम नहीं चलने वाला। लेकिन ये बात भी सब जानते हैं कि, पिछले कुछ सालों में हर क्षेत्र में हिंदी भाषा का प्रयोग भी काफी बढ़ा है। ऐसे में कॉर्पोरेट जगत कैसे अछूता रह सकता है? और ऐसा नहीं है कि इस जगत में बने रहने के लिए कोई एक विशेष भाषा का ज्ञान चाहिए ही, जितनी माँग इस दुनिया में अंग्रेज़ी की है उतनी ही हिंदी की भी है। बस, जरूरत है तो भरपूर रचनात्मकता की।
प्रतियोगिता की इस दौड़ में हरेक कंपनी अपने उत्पाद को अलग ढंग से प्रस्तुत करना चाहती है, जिससे कि उसका उत्पाद बाजार में सबसे खास लगे। ऐसे में उत्पाद को खास बनाने के लिए रचनात्मकता के साथ ही हिंदी भाषा का प्रयोग भी काफी ज़रूरी हो जाता है। क्योंकि हिंदी का प्रयोग हर तरह के ग्राहक तक पहुँचने में सहायक होता है। और इसके प्रयोग से उत्पाद तो खास बन ही जाता है साथ ही कंपनी की ख्याति में भी वृद्धि होती है।
जैसा कि सब जानते हैं, कि हिंदी हमारी ‘राजभाषा’ है यानी कि ‘सरकारी कामकाज की भाषा’। तो
फिर कॉर्पोरेट जगत इस राजकीय भाषा की कैसे अवहेलना कर सकता है? बस, एक कारगर आइडिया और एक क्रिएटिव माइंड कॉर्पोरेट सेक्टर में बने रहने के लिए जरूरी है, न कि कोई एक विशेष भाषा का ज्ञान।
बेहतरीन आइडिया के आधार पर ही कंपनी में नई-नई योजनाएं तैयार की जा सकती हैं। आइडिया तब ज्यादा कारगर साबित होता है, जब उसके साथ क्रिएटिविटी भी हो। और रचनात्मकता भाषा देखकर नहीं आती, वो ये नहीं सोचती कि फलां व्यक्ति अंग्रेजी भाषा बोलता है तो मैं तो इसी के पास जाऊंगी, और फलां व्यक्ति हिंदी बोलता है तो मैं तो इसके पास नहीं जाऊंगी। बल्कि, रचनात्मक तो कोई भी व्यक्ति हो सकता है।
अक़्सर कॉर्पोरेट जगत में ‘मोनोटोनी’ यानी ‘नीरसता’ भी देखने को मिलती है। ऐसे में इस नीरस जगत को रसप्रद बनाने में काम आती है भाषा। आजकल कई कॉर्पोरेट फिल्में हिंदी में बन रही है, कंपनी अपने प्रोडक्ट का नाम हिंदी में रख रही है साथ ही वह अपने प्रोडक्ट के बारे में समझाने हेतु ग्राहकों से उनकी स्थानीय भाषा में ही संवाद कर रही है। जिससे हिंदी तथा अन्य स्थानीय भाषाओं में भी रोजगार के कई अवसर बढ़े है।
सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां हिंदी बोली जाती हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात में भी हिन्दी या इसकी मान्य बोलियों का उपयोग करने वाले लोग बड़ी संख्या में मौजूद है। तो जाहिर सी बात है कि वैश्विक स्तर पर व्यापारिक लेनदेन में भी हिंदी का प्रयोग कहीं न कहीं बढ़ा है। अतः निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि, देशी से लेकर वैश्विक व्यापार में, सरकारी से लेकर कॉर्पोरेट कामकाज में हिंदी किसी अन्य भाषा की तरह ही काफी महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
लेखक, ‘मीडिया डिज़ाइन’ के निदेशक एवं ‘द हिंदी’ वेब पत्रिका के कार्यकारी संपादक है – तरूण शर्मा
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